तुम नहीं आसपास दीवारों दर का साथ
करें तो क्या करें हर्फ-ए-सुख़न बयाँ करें
कुछ लिख के फाड़ें फिर कुछ नया लिखा करें
दोस्तों को फिर बेधड़क लिखा सुनाया करें
साल के अंतिम पल में सालगिरह मुबारक
ऐसे में तोहफ़े में क्या बनवाया करें
मैं जन्म से कंगाल नहीं हीरे पोखराज
सोचा नज़्म तुमको अपनी सुनाया करें
अंदाज़े बयाँ काबिले तारीफ़!!
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