एक कहानी ऐसी भी
आपने हिमा दास के बारे में सुना होगा जिसने धाविका के रूप में कई ख़िताब हासिल किए और अब उसे डिप्टी एस पी के पोस्ट पर बहाल किया गया है पर आपने माही के बारे में नहीं सुना होगा।हिमा का उल्टा है माही और देखा जाए तो माही हिमा के ठीक विपरीत थी। वह पढ़ने में और खेलकूद कमजोर थी। उसके भाई-बहन इन दोनों चीजों में अव्वल थे। उसे इन कार्यों में रुचि न थी पर वह ड्रेस डिजाइनिंग बहुत अच्छा करती थी। उसकी इस विधा में माहिरी क़ाबिले तारीफ़ थी। अफ़सोस की बात यह है कि उसके रिश्ते-नातों में उसका प्रोत्साहन करने वाला कोई न था। उन्हें माही के हुनर की कद्र न थी। माही घर की सबसे बड़ी बच्ची थी और जल्दबाज़ी में उसकी शादी करके निपटाया।जल्दबाज़ी में लिए फ़ैसले का अंजाम भी वही होता है। माही की अपने पति और ससुराल वालों से न बनी। घर वालों ने भी उसे वापस लेने से हाथ खड़े कर दिए। माही ने कई बार सब को छोड़ कर कहीं चले जाने की सोची पर तब उसे ख़्याल आया कि बुरी नज़र वाले भूखे भेड़िये उसे नोच डालेंगे। हम महिलाओं के जीवन में एक लक्ष्मण रेखा खिंच गई है। सरकारें आईं और चली गई, महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई ठंडे बस्ते में है।माही अब अधेड़ हो चुकि है और उसके पति का रवैया वैसे का वैसा ही है।
माही भी हिमा की तरह बन सकती थी पर शायद….?