सुना है किसी की औलाद गुज़र गई
कुछ ही पल में उसकी कायनात उजड़ गई
सुना है किसी का दामाद गुज़र गया
नई-नवेली उस दुल्हन का सुहाग उजड़ गया
किसी ने वो खोया जो कमाता था रोज़ी- रोटी
किसी ने बाप खोया तो किसी ने बेटी
इस मर्ज ने न अमीरी देखी न फ़क़ीरी
लोगों ने तड़प तड़प कर साँस तोड़ी
न इसने बूढ़ा देखा न जवान
हर एक को बनाया अपना निशाँ
इस मर्ज ने ढाया है क़हर ग़ज़ब
न तेरा मुल्क देखा न मेरा मज़हब
किसी को दवा नहीं मिल रही किसी को साँसें
हर तरफ़ कब्र खुदें है हर तरफ़ जल रही लाशें
नदी में लावारिस लाशें तैरती
आह भरती चीखती पुकारती
कहीं खुल न जाए नेताओं की पोल
बीमारी की जाँचे और आँकड़े हुए गोल
गौर करना जितना होगा तन पर कपड़ा उजला
उतना ही होगा मन मैला
ये नेता करते बातों से चोट पर चोट
इन्हें समझ आता है सिर्फ़ नोट और वोट
सुना है उस की भी निकली मय्यत
जो मर्ज की देता था औरों को नसीहत
जब उसका इल्म और तजुर्बा न बचा सकी उसकी जान
तो हम नाचीज़ फिर होते हैं कौन
हाथों से रेत सी फिसलती ज़िंदगी
बेपरवाह चलते एक मोड़ पर थम सी गई
😢😢
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100% true👌😪
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