Ghazal
आपके प्यार में दिल दिवाना हुआ
इस गली में तेरा जब से आना हुआ
सोजे उल्फत की राहों में गुमनाम था
अब तो महफ़ूज़ उसका ठिकाना हुआ
तुम मिले हमनबां तो लगा यूँ हमें
पंछियों का नए सुर में गाना हुआ
जो घंटा मेह बन के बरसता न था
बे मौसम बारिशों का जमाना हुआ
फ़र्ज़ इतना जो मुझपे इनायत करम
सर इबादत में उसके झुकाना हुआ
मेरा कुछ भी नहीं मुझमें बाक़ी रहा
मेरा अब तो सभी कुछ तुम्हारा हुआ
उम्दा👌
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बेहतरीन👌
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