ग़ज़ल
ये न पूछ तक़दीर में क्या लिखा है
जो मिला बड़े मतलब से मिला है
हमने ताउम्र ख़ैरात बाँटी है
हमसे हर शख़्स मक्सद से मिला है
हमें इसका न कोई रंज-ओ-गिला
जो मिला रब की नेमत से मिला है
उसकी आरजू क्या जो औरों को हासिल
क्या पल पल की शिकायत से मिला है
हमें वो मिला जिसके हम थे क़ाबिल
ये मत पूछ क्या मिला न मिला है
ये कोई करिश्मा या दुआ का असर
फर्द औरों से बेहतर ही मिला है