ghazal
हम दुआँ ये करें तुम मिलो हर जनम
संग बीते जो पल हमको लगते हैं कम
इल्तिजा में तेरी तेरे सर की क़सम
डोर मन्नत की कल जोड़ आए हैं हम
हम को पाने के भी कर लो कोई जतन
हो न मेरे वचन पड़ भी जाएँ न कम
डर कोई भी नहीं इस कड़ी के सिवा
हमसे बढ़ के तुम्हें माँग लेगा सनम
कोई जो छीन कर ले गया गर तुम्हें
जानेमन हम यहीं तोड़ दें अपना दम
बहुत सुंदर ग़जल👏👌🙏
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