हम दुआँ ये करें तुम मिलो हर जनम
संग बीते जो पल हमको लगते हैं कम
इल्तिजा में तेरी तेरे सर की क़सम
डोर मन्नत की कल जोड़ आए हैं हम
हम को पाने के भी कर लो कोई जतन
हो न मेरे वचन पड़ भी जाएँ न कम
डर कोई भी नहीं इस कड़ी के सिवा
हमसे बढ़ के तुम्हें माँग लेगा सनम
कोई जो छीन कर ले गया गर तुम्हें
जानेमन हम यहीं तोड़ दें अपना दम
बहुत सुंदर ग़जल👏👌🙏
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