चली है झूमती पवन ज़रा चहक उठा है मन
ठहर लुभावनी घड़ी में धुन मैं गुनगुना तो लूँ
लो गा रही हैं कोयलें सुना रही नफ़्स नफस
लो सुर में सुर मिला के आज सुन मैं गुनगुना तो लूँ
है याद आ रहा कोई अब उसकी आरज़ू सजा
ये प्यास से भरे नयन को मुन मैं गुनगुना तो लूँ
मुझे तो लग गए हैं पंख छू लूँ ज़मीन आसमाँ
हज़ार से हसीन ख़्वाब बुन मैं गुनगुना तो लूँ
ये पल अगर गुज़र गया तो लौट कर न आएगा
अभी मिला मुझे जो पल को चुन मैं गुनगुना तो लूँ
👌👌
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