मैं निष्कपट, अबोध,
जान अधिक पाया नहीं।
यह कपटी संसार,
श्री बिन कछु भाया नहीं।
कह के न मुकर जाए
कर के बातें जो बड़ी ।
मैं गाँव की लैला,
न कोई शहरों की परी।
मैं निष्कपट, अबोध,
जान अधिक पाया नहीं।
यह कपटी संसार,
श्री बिन कछु भाया नहीं।
कह के न मुकर जाए
कर के बातें जो बड़ी ।
मैं गाँव की लैला,
न कोई शहरों की परी।
Waaah 👏👍
LikeLiked by 1 person
बढ़िया!
LikeLiked by 1 person