दर्द भरी शायरी

गजल

ये जानती हूँ मैं सनम तुम्हें भी प्यार है सही

सनम ये बात और है कहा नहीं कभी मगर

जमाने की सदा-सदा मुझपे उठी हैं उँगलियाँ

यूँ बेरुख़ी से अब तेरी हो जाँए हम रुसवा अगर

सदा तेरी तलाश में फिरा किया इधर-उधर

मिला मुझे यहीं इधर ढूँढा जिसे नगर-नगर

कई मुक़ाम बाक़ी भी अभी फ़तह हैं करने को

रक़ीब साथ दो मेरा हो मेरी भी आँसा डगर

उठ जाएगा यक़ीन भी जमाने का इमाम से

यूँ बेरुख़ी से भी तेरी हाँ मर गया जो मैं अगर

Love Shayari

ghazal

हम दुआँ ये करें तुम मिलो हर जनम

संग बीते जो पल हमको लगते हैं कम

इल्तिजा में तेरी तेरे सर की क़सम

डोर मन्नत की कल जोड़ आए हैं हम

हम को पाने के भी कर लो कोई जतन

हो न मेरे वचन पड़ भी जाएँ न कम

डर कोई भी नहीं इस कड़ी के सिवा

हमसे बढ़ के तुम्हें माँग लेगा सनम

कोई जो छीन कर ले गया गर तुम्हें

जानेमन हम यहीं तोड़ दें अपना दम

Love Shayari

Ghazal

आपके प्यार में दिल दिवाना हुआ

इस गली में तेरा जब से आना हुआ

सोजे उल्फत की राहों में गुमनाम था

अब तो महफ़ूज़ उसका ठिकाना हुआ

तुम मिले हमनबां तो लगा यूँ हमें

पंछियों का नए सुर में गाना हुआ

जो घंटा मेह बन के बरसता न था

बे मौसम बारिशों का जमाना हुआ

फ़र्ज़ इतना जो मुझपे इनायत करम

सर इबादत में उसके झुकाना हुआ

मेरा कुछ भी नहीं मुझमें बाक़ी रहा

मेरा अब तो सभी कुछ तुम्हारा हुआ

Love Shayari

Ghazal

लोग जो भी गुज़र जाएँ ठहर के देखें

गर दुनिया तुम्हें मेरी नज़र से देखे

जिन गलियों में बसा है आशियाँ तेरा

लोग राहें सब उसी डगर के देखें

तेरे वजूद से हैं ये रातें रौशन

रात अंधेरों को सहर कर के देखें

यू चाहत में दिए जाने की ज़िद में

सोचा अपनी लंबी उमर कर के देखें

नूर में तेरे जब है दवाओं सा असर

क्यूँ वो रस्ते चारागर के देखें

सूरत से चल जाता है सीरत का पता

चाह बाक़ी तेरे दिल में उतर के देखें