जीवन में हम हों सदा,
कोरे शून्य समान।
औरों में मिल जांए तो,
बढ़े सभी का मान।
जीवन में हम हों सदा,
कोरे शून्य समान।
औरों में मिल जांए तो,
बढ़े सभी का मान।
भारत माँ का तनिक भी
होगा ना नुक़सान
सरहद पर फ़ौजी डँटे,
चौडी छाती तान।
भारत माँ के पूत हैं,
लाल, बाल औ पाल।
सभी करें यश गान मिल,
दे कर सौ-सौ ताल।
मैं निष्कपट, अबोध,
जान अधिक पाया नहीं।
यह कपटी संसार,
श्री बिन कछु भाया नहीं।
कह के न मुकर जाए
कर के बातें जो बड़ी ।
मैं गाँव की लैला,
न कोई शहरों की परी।
जाने कौन बात की
जे लूट रहे वाह-वाहि
निर्मोही जगत में
कौनों एक जन नाहि
मोह माया छोड़
झूठे जग को बिसारिए
खोल मन के कपाट
हरि नाम को पुकारिए
प्रियजन शाखें रोपिए, पेड़ों से है छाँव।
है शीतल समीर से, निर्मल मेरा गाँव।।
दुर्जन गंगा में चाहे
जितना कर लो स्नान,
मैला मन मैला रहे
कैसे हो कल्याण ।
ऐसा दान न कीजिए
जो घर वापस आए
जो देकर माँगे नहीं
जग में पुण्य कमाए
देखन में सीधे लगैं
अंदर होवे साँप
इस दो मुँहे नाग से
बच के रहियो आप