नज़्म Nazm

Urdu Shayari

हालात

लोगों से अक्सर कई दफ़ा

कहते हुए ये सुना गया

कि हो चाहे जैसे हालात

रखना क़ाबू अपने जज़्बात

पर इंसान को इंसान बनाता है

गैरमुकम्मल होनी यदा-कदा

अगर ज्जबात ही न मचलते तो

क्या हो न जाते हम खुदा

दुनियावालों की छोड़ो

ये दुनिया तो पागल है

जो ये सच्ची बात कुबूले

वो इंसान मुकम्मल है

खुद जो पूरे हो नहीं

वो भी क्या कमाल दिखाते हैं

लोग सभी किरदार पे मेरे

लाखों सवाल उठाते हैं

दुनिया वालों की क्या सुनना

जो कहते हैं कहने दो

मैं मौजी अपने मन का

मुझको पागल ही रहने दो

दर्द भरी शायरी

गजल

ये जानती हूँ मैं सनम तुम्हें भी प्यार है सही

सनम ये बात और है कहा नहीं कभी मगर

जमाने की सदा-सदा मुझपे उठी हैं उँगलियाँ

यूँ बेरुख़ी से अब तेरी हो जाँए हम रुसवा अगर

सदा तेरी तलाश में फिरा किया इधर-उधर

मिला मुझे यहीं इधर ढूँढा जिसे नगर-नगर

कई मुक़ाम बाक़ी भी अभी फ़तह हैं करने को

रक़ीब साथ दो मेरा हो मेरी भी आँसा डगर

उठ जाएगा यक़ीन भी जमाने का इमाम से

यूँ बेरुख़ी से भी तेरी हाँ मर गया जो मैं अगर